
सहारनपुर: दहेज प्रताड़ना से परेशान महिला का प्रदर्शन, ससुराल के बाहर धरना
सहारनपुर।
उत्तर प्रदेश के सहारनपुर ज़िले में दहेज प्रताड़ना का मामला उस समय सुर्खियों में आ गया, जब एक विवाहित महिला ने अपने ही ससुराल के बाहर धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया। महिला का आरोप है कि ससुराल वाले लगातार उससे दहेज की मांग कर रहे हैं और प्रताड़ित कर रहे हैं। यही नहीं, उसे घर के भीतर प्रवेश करने तक नहीं दिया गया। इस स्थिति से आहत होकर महिला ने टैगौर गार्डन स्थित अपने ससुराल के बाहर बैठकर विरोध दर्ज कराया।
बैनर के जरिए जताई नाराज़गी
महिला ने प्रदर्शन के दौरान एक बैनर लगाया जिस पर लिखा था—
“दहेज घर के अंदर, बहू घर के बाहर।”
यह नारा लोगों का ध्यान आकर्षित करता रहा। राहगीरों और स्थानीय लोगों की भीड़ वहां जुट गई। कई लोगों ने महिला का समर्थन करते हुए ससुराल पक्ष के खिलाफ नारेबाज़ी भी की।
पीड़िता का आरोप
महिला का कहना है कि शादी के समय उसके मायके वालों ने ससुराल पक्ष को पर्याप्त दहेज दिया था, लेकिन शादी के बाद लगातार अतिरिक्त दहेज की मांग की जाने लगी। आरोप है कि जब महिला ने इस मांग को पूरा करने से इंकार किया तो उसे मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया गया।
पीड़िता का कहना है कि “मुझे घर से बाहर निकाल दिया गया। मैं कई बार वापस लौटना चाहती थी, लेकिन दरवाज़े बंद कर दिए गए। मेरे पास अब न्याय पाने और अपनी पीड़ा जताने का यही तरीका बचा है।”
पड़ोसियों ने दिया समर्थन
प्रदर्शन की जानकारी मिलते ही आसपास के लोग इकट्ठा हो गए। कई लोगों ने महिला को पानी और खाने-पीने की चीज़ें उपलब्ध कराईं। स्थानीय महिलाओं ने कहा कि दहेज जैसी कुप्रथा को खत्म करने के लिए पीड़िता का साहस सराहनीय है।
पुलिस की दख़लअंदाज़ी
सूचना पाकर मौके पर पुलिस भी पहुंची। पुलिस अधिकारियों ने पीड़िता से बातचीत की और मामले की पूरी जानकारी ली। बताया जा रहा है कि महिला ने पहले भी थाने में शिकायत दर्ज कराई थी, लेकिन ससुराल पक्ष के दबाव में कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।
पुलिस अधिकारियों का कहना है कि मामले की जांच की जा रही है और यदि दहेज प्रताड़ना के आरोप साबित होते हैं तो दोषियों के खिलाफ सख़्त कार्रवाई की जाएगी।
सामाजिक संगठनों का रुख
महिला के धरने को देखते हुए कई महिला संगठनों ने भी समर्थन का ऐलान किया है। संगठनों का कहना है कि ऐसे मामलों को दबाने के बजाय खुलकर सामने लाना चाहिए, ताकि समाज में दहेज के खिलाफ जागरूकता फैले।
दहेज प्रथा पर सवाल
यह मामला एक बार फिर दहेज प्रथा की कड़वी सच्चाई को सामने लाता है। 21वीं सदी में भी बहुएं दहेज की मांगों का सामना कर रही हैं। सरकार और क़ानून ने दहेज को अपराध घोषित कर रखा है, लेकिन ज़मीनी स्तर पर इसकी जड़ें अब भी मज़बूत दिखती हैं।
निष्कर्ष
सहारनपुर का यह मामला न केवल एक महिला की व्यक्तिगत लड़ाई है, बल्कि पूरे समाज के लिए एक संदेश है कि दहेज प्रथा जैसी कुरीतियों को जड़ से मिटाने की ज़रूरत है। पीड़िता ने साहस दिखाकर इस कुरीति को चुनौती दी है। अब देखना यह होगा कि पुलिस और प्रशासन किस हद तक निष्पक्ष कार्रवाई करके उसे न्याय दिला पाते हैं।
✍️ रिपोर्ट: एलिक सिंह
समृद्ध भारत समाचार / वंदे भारत लाइव टीवी न्यूज़
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